________________
(४) आकाशास्तिकाय भी एक अरूपी पदार्थ है, जो जीव और पुद्गल को अवकाश (स्थान) देता है। वह लोक
और अलोक दोनों में है। यहां पर भी स्कन्धादि पूर्वोक्त तीनों भेद हैं।
(५) पुद्गलास्तिकाय संसार के सभी रूपवान् जड़ पदार्थों को कहते हैं। इसके स्कन्ध १ देश २ प्रदेश ३ और परमाणु ४ नाम से चार भेद हैं। प्रदेश और परमाणु में यह भेद है कि-जो निर्विभाग भाग, साथ में मिला रहे उसे प्रदेश मानते हैं और वही यदि जुदा हो तो परमाणु के नाम से व्यवहार में लाया जाता है। __ (६) काल द्रव्य एक कल्पित पदार्थ है। जहां सूर्य तारादिगण चलस्वभाववाले है वहीं काल का व्यवहार है । काल दो प्रकारका है-एक उत्सर्पिणी, और दूसरा अवसर्पिणी। उत्सर्पिणी उसको कहते हैं जिसमें रूप, रस, गन्ध, स्पर्श ये चारो की क्रम २ से वृद्धि होती है और अवसर्पिणी काल में पूर्वोक्त पदार्थों का क्रम २ हास होता है । उत्सर्पिणी, अवसर्पिणी काल में भी हर एक के छः छः विभाग हैं; जिनको आरा कहते हैं । अर्थात् एक कालचक्र में छः उत्सर्पिणी के क्रम से आरा हैं और अवसर्पिणी के छः व्युत्क्रम से (उलटे) आरा हैं। इन्हीं दोनों काली में चौवीस २ तीर्थकर होते है