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श्रद्धेय श्री आई०बी० सिंह (पूर्व प्राचार्य, रुइया कालेज, मुम्बई) के चिन्तनशील व्यक्तित्व ने मुझे निरन्तर प्रेरित किया है। उनके प्रति अपनी श्रद्धा और कृतज्ञता को व्यक्त करना पुनीत कर्त्तव्य समझता हूँ।
मेरे मित्र डॉ राकेश सिंह (प्रवक्ता, राजा हरपाल सिंह स्नातकोत्तर महाविद्यालय सिंगरामऊ, जौनपुर), श्री संजय पाण्डेय (शोध छात्र, शिक्षाशास्त्र) तथा श्री मृगेन्द्र प्रताप सिंह (शोध छात्र, शिक्षाशास्त्र, शिक्षा संकाय) ने सामग्री संचयन से लेकर शोध-प्रवन्ध के मुद्रण तक जो सहयोग दिया वह अमूल्य है। उनके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करना उनके द्वारा किए गए उपकार को कम करके आँकना होगा।
मेरे मित्र श्री सतीश कुमार सिंह (आजमगढ़) ने शोध-प्रबन्ध पूर्ण करने के लिए बार-बार आग्रह किया। उनकी प्रेरणा एवं सहयोग से ही यह श्रमसाध्य कार्य समय रहते पूरा हो सका। इसके लिए मैं उनका हृदय से आभारी हूँ।
मै विशेष रूप से आभारी हूँ श्री राजेन्द्र बहादुर सिंह (कार्यालय अधीक्षक, हिन्दी विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, इलाहाबाद) का, जिनका सहयोग मुझे निरन्तर मिलता रहा है।
प्रस्तुत शोध-प्रबन्ध में जिन विद्वज्जनों के विचारों एवं ग्रंथों का सहयोग लिया गया है, उनके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करता हूँ। इसी क्रम में हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयाग, हिन्दुस्तानी एकेडमी, इलाहाबाद तथा इलाहाबाद विश्वविद्यालय, इलाहाबाद के पुस्तकालय के प्रति मैं आभारी हूँ, जहाँ मुझे बहुमूल्य ग्रंथों के अध्ययन का अवसर मिला।
इस अवसर पर 'जय माँ दुर्गे कम्प्यूटर प्वाइंट' मनमोहन पार्क, कटरा, इलाहाबाद परिवार के सदस्यों श्री रतन खरे, श्री रमेश कुमार यादव, श्री सन्तोष दास, श्री चन्द्र भान सिंह एवं श्री राम कुमार तिवारी के प्रति मैं आभार व्यक्त करता हूँ, जिन्होंने तत्परता एवं आत्मीयता से शोध-प्रबन्ध का मुद्रण कार्य सम्पन्न किया।
अजय प्रताप सिंह
दिनांक : 13.12.2008
(अजय प्रताप सिंह)