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अनेन्द्रकी कहानियां भाग पौर पहतों के काम उन्होंने किए हैं। उन्हें सौंप में रम पम निमिता हो सकते हैं।"
में अपनी जगह मे उन । श्रीमती बोनी, "तुम तो भी में रिकर में धाने लगे। मैमती , मेरे रहने नुम्हें जग मिना मरने की मन नही । दमे तो तुम्हारे पास हो जायगान ?"
"क्या ये बड़बार मचा रखी है। तुम्हें नहीं गो मुझे तो माम "
श्रीमती उठी मोर टेलीपोन सागर मेरे दो मे दमा दिया। मा "लो छोटे बाबू में पना पूर लो।"
हाथो में में टेलीपान को फैश नहीं गरा। धीम में बराबर की तिपाई पर रखा और गहा, "वम्बई का पासो"
श्रीमती जी उड वर योती, "तो फिर मया गाव, गोपागणार को मिलायो । मह देना, माम को अपना मगर र पारें पोर दम अनेन्ट गगम कर। और पाग पोनय मातीपूर्ण गवर ? रामने । या पटोग"
में भी पीर साग न देर, टेलीफोन में कमा, नही कर पा पा। लेगिन यह सर कुन हो रहा था। मग पाहा, "पाटील , चीनी देय ते । तर उनको राय में माना जारी होनारियाणा नापनी में कुछ ना हो इनटे पाम किग ___" गाली है और नोमोजोम बरगहा मानिया, गी तुम्हारा धीरज भाटारमा भीम गो, मापाय गो पोत"