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मुक्त प्रयोग
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गया और फिर दोनो जने हाथ मे हाथ डाले तेजी से रेस्तरा से बाहर निकल गए ।
हम रेस्तरा मे ही बैठे है । यह समा श्रौर यह शाम । प्रोखले के लिए मौका बुरा नही है । लेकिन आप मनाइए कि कहानी कहने वाले के पास भी खासी नई ऑटोमोबाइल हो, और वह इस तेज जिन्दगी के साथ लपकता जाए और कहानी के श्रागे के मोडो की भी खवर प्राप को दे सके । तब तक के लिए कहानी को यही समाप्त मानना होगा ।
अगस्त '६३