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निश्शेष
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"तो - वह यहा रहेगा ।"
" सवा दो सौ उसे मिलता है। उतने मे दिल्ली मे कैसे रह लेगा ?"
"न होगा, हम कुछ भेज दिया करेगे । और बस अब तुम उठ जाओ ।"
शारदा ने बैठे ही बैठे कहा, "अगर मैं न उठु तो ?"
रामशरण ने पजा खोलकर दिखाया और जतला दिया कि न उठने का मतलब क्या हो सकता है ।
शारदा की मुस्कराहट इस पर और भी कटीली हो आई । उसकी चितवन मानो रामशरण को घायल करने लगी । मानो उस चितवन मे वर्जन की जगह आमंत्रण हो ।
शारदा बोली, “मुझे खड़े होने को कहते हो । अच्छा था तुम्ही बैठ जाते । "
उस चितवन की भाषा का अपने मन के अनुसार अर्थ पढकर रामशरण ने कहा, "मुरारी टैक्सी ला रहा है ।"
"लाने दो। मुरारी उसमे बैठकर चला भी जाएगा। फिकर क्या है ।"
"शारदा । "
" मुरारी का तुम भरोसा करते हो । "
"तुम सच कह रही हो ?"
"मै तुम्हारे भरोसे को तोडना नही चाहती । लेकिन "
"
"माने दो उस कम्वस्त को !"
शारदा मन ही मन हसी । बोली, "यह तुम्हारे वह भाई है जिनके पीछे तुमने मेरे साथ जाने क्या बदसलूक नही किया । "
"मुझे पहले क्यो नही बताया -- खून पी जाता उसका ।"
" अव भी कहा बताया है ? वह तो बात मे बात आ गई । और बताया इसलिये नही था कि मुझे अपने पर भरोसा था, और है । तुम्ही