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विक्षेप
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सिर्फ दक्षिणा हो सकती है । वाम मे होती है वामाग्नी कहो, कैसे रहे ? अहा हा-हा। इसीलिए देख लो, वाईं तरफ ही दरवाजा है ! द्वार से होता है द्वाराचार । चलो भई, द्वाराचार देखे। ___ वाह भई | मानना होगा लोगो को | जभी तो विश्वविद्यालय कहते है | क्या खूब बनाई है इमारत ! कितना पैसा लगा होगा ? बडा पैसा लगा होगा ! पैसा साला बहुत लगता है । जाने यह पैसा कहा रहता है ? हमको तो दीखती नही जगह ? पर है साले मे करामात । इधर दो, उधर जलेबी का दोना तुम्हारे हाथ मे । और वह जलेबी वाला बनाता ही है, खाता नहीं है, न घर ले जाता है । पैसा दो और जलेवी ले लो । या और चाहे कुछ तो वह ले लो। पर हम परमात्मा को पैसा क्या करेगा ? जलेबीवाला अाज हमको जलेवी नहीं दिया । बोलता, पैसा लायो । हम हस दिया । हमने का बात है कि नही ? जलेवी वह खाता नही है और पैसा मागता है । पर पहचानता नही हम परमात्मा हैं । क्या पैसा, क्या जलेबी | हम सबको लात मार सकता है ।
विश्वविद्यालय | यहा लोग विद्या पढते हैं । पढ कर विद्या को पढाता है । पढा कर नया करता है ? पैसा पाता है, पैसा हाथ से देकर जलेबी पाता है । जलेबी खा के फिर पढाने आ जाता है । पढा के पैसा लेके फिर साता-पीता-पहनता है । एई ढो विछा का चक्कर ।
अलवत चवकर | हम खायेगा, काहे कि खाना स्वाद लगता है । पर उनके वास्ते करेगा काहे को । खाने के वास्ते पढायेगा, पढा के पैसा पा के नायेगा । हम मुफ्त पढायेगा । मुपत खायेगा । जिन्दगी हमारी है और आजाद है और मुफत । एकदम मुफत ।।
प्रो-हो-हो । यह वारिग फिर होना मागता है । वादल काला हो गया है । ऊपर घूमता है । हम नहीं भीगा, पर वाल काला है और साला वह भीग जाता है। (और उमने सिर के वालो को दवाकर हाथ मे मूता ।) इस बार यह नही होएगा। हम एक दम नही भीगेगा, वाल भी नहीं भीगेगा । कुछ भी नहीं भीगेगा । और महाशय ने यान्वोकेशन हाल