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जीना-मरना
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तान जाकार स्वारी कराने से क्या फायदा! लीलाधर के मन मे हुमा था कि एम्बुलम को जो गाडी मंगवाई है, उसे वापिस कर दिया जाय । नेफिन दिल्ली शहर में जगह की बडी तगी है । सेवादार भी नहीं मिलते है। सुमिया कोई नाते रिश्ते में तो है नही। ठीक है कि प्रभागिन है, कोई उसे पूछने वाला नही है । लेकिन एक कमरा उनी के निमित्त कसे और पाय तक रखा जा सकता है ? सच है कि नाहक का बोकया गया । हे एक महीने में पड़ी थी वहा और भुगत रही थी। जैसे-तंगे कारट पर दो रानर लिसकर मेहतर के हाथ टनवाया था। फाई परफर ये देवने पाले गये, बेदाग देखकर तय किया फि भरपताल भेज देना चाहिए। फोन किया, जोर लगाया, और पामिर दागिला मिल गया।
लेकिन लीमरे रोज नीचे से पोसिन ने भापर बनाया कि बाहर ठगेपर एक चुडिया पड़ी है, प्रापको पूछ रही है।
पनी गवाहर जागर देवा, सुप्सिया पी।स्पताल के पानी घर में दरवाजे नानाार ठेगा वही रोष्ट गये थे। मुनगुनाती पत्नी वापस पाई शिया यया भला कहा पर लिया है ? मैं गहा तू उगे, अपने रिप बम, मेरे पालेजे पर पाये दिन नई-नई बेगार होनते रहते
पत्नी ने और rat
यह अपस्य , लेगिन गाहने के नाम ही पर बाहर गई
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