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वे दो
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प्राधे घटे बाद कमरे मे दरवाजे पर अन्दर में लगातार पप्-थप् को धावाज पाती ही चली गई तो दरवाजा खोलना पडा। दोनो के चेहरे पर म्वगं लिखा हुआ था। अजीत ने राजकुमार जी के पैर छुए, माताजी के भी पर छए और कहा, "द्रौपदी का कोई भाई नही है, सब बहने ही है । आज से सामने यह सगा भाई उसका रटा है । इस बात पोआप लोग कभी न भूलियेगा।"
अजीत की भागो मे सामने और वह हन रहा था। जुलाई '६३