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त्रिबेनी
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लेकिन बच्चे ने
तक
नहीं प्रकट होने
वह बाहर गई और बच्चे को गोद में उठाकर चूमती हुई घर ले आई । उससे रो-रोकर माफी मांगने लगी और मनाने लगी। जब तक दोने की पूरी रबड़ी नहीं खा ली तब दिया कि उसका क्रोध तनिक भी मन्द हुआ है । यह भाव हुआ कि यह बच्चा इतना बड़ा क्यों हो गया कि में आज इसे अपना स्तन पान नहीं करा सकती । उसकी छाती में मानो दूध उमड़ने
उस समय उस नारी में
लगा ।