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इक्के में और मैंने गिरने से बचने के लिए एक दम इक्के का डंडा पकड़ लिया, कहा, "ठीक से क्यों नहीं चलाता रे, इक्का ?" ..
बोला, "बाबू चुन्गी की मिन्सपल्टी में लकचर होत हैं, और सड़कन में गड़हे पड़े जात हैं।"
मैंने कहा, “गाड़ी में बक्त थोड़ा है। ज़रा इक्का बढ़ाए चल ।" उसने कहा, "होय टिक-टिक ।"
और घोड़े के खड़े दाएँ कान पर चाबुक का तस्मा भी जोर से बिठा दिया।
घोड़ा अगले पैरों पर जोर देकर बढ़ा, दौड़ा, और फिर वैसा ही मद्धिम हो गया।
और पास रक्खे पुलिंदे पर कोहनी टेक, और ठोड़ी हथेली पर रखकर देखने लगा यह भारत-धर्म-महामण्डल है, और उसके चारों ओर खेत भी हैं और बगीचे भी हूँ। और यह लाल तीन मन्जिल का मकान कैसे सुन्दर डिजाइन पर बना है। और ये
औरतें रोज सामने के इस तीन मन्जिल के सुन्दर लाल मकान को देखती हैं, हँस-हँसकर अपनी टोकरियाँ बुनती हैं, गालियाँ बकती हैं, अपने-अपने मर्दो को लेकर अपने बन्द घरों के भीतर फूसगूदड़ को ओढ़ना-बिछौना बनाकर सोती हैं, और रात काट देती हैं। और फिर दिन में आकर इस लाल विशाल महल की गुर्राती
आँखों के सामने हँसती और चुहल करती हुई अपना गोबर पाथती और टोकरी बुनती हैं। और हम कहते हैं, प्रेम । और प्रेम के साथ कहते हैं, गुलाब, बुलबुल, शराब, मखमल के तकिये, खड़े आइने और यह और वह । और कहते हैं विरह, वियोग, विछोह, कसक, टीस, आह, आँसू, आग आदि। और कहते हैं, सौन्दर्य, और Aesthetics । और कहते हैं पार्ट।...और ये
औरतें मदों को लेकर अनगिनत बच्चे जनती हैं, और गोबर पाथती हैं, और टोकरी बुनती हैं, और हँसती हैं और झगड़