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जैनेन्द्र की कहानियाँ [तृतीय भाग ]
परवशता भी है। सती भी है, वेश्या भी है। हर किसी बात का कुफल भी है, सुफल भी है । पाप-पुन्न आदि सभी कुछ है ।
सो देवी-देवता लोग इसे देख रहे हैं और दुनिया की इस स्थिति की स्वर्ग लोक में बड़ी चर्चा चल रही है। पर यह निर्णय नहीं होने में आता है कि ब्रह्माजी के पास आखिर किस माँग को लेकर पहुँचा जाय ?