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लाल सरोवर
कमल के फूलों से भरे इस लाल सरोवर की कथा, भाई, प्राचीन है और परम्परा के अनुसार सुनाता हूँ ।
बहुत पहले यहाँ से उत्तर - पूरब की तरफ एक नगर बसा हुआ था । उसके बाहर खंडहर की हालत में एक शिवालय था । नगर के लोग उधर तब आते-जाते नहीं थे । वह उजाड़ जगह थी और कहा जाता था कि वहाँ भूत का वास है ।
उस शिवालय में जाने कहाँ से एक उदासी जाकर बस गया । वह यहाँ अकेला रहता था । मधुकरी के लिए कभी नगर में आ जाता तो जाता, नहीं तो अपने ही स्थान पर नित्य भजनप्रार्थना में लीन रहता था ।
इस भाँति वहाँ रहते हुए उसे दस वर्ष हो गए । इधर बहुत काल हुआ, वह नगर में भी नहीं गया था । लोग शिवालय पर ही आकर उसे भोजन दे जाते थे । वह कुछ नहीं बोलता था । धन्यवाद या आशीष वचन भी नहीं देता था । दिन में वह जंगल और खेतों की तरफ निकल जाता और अचरज से सब कुछ देखा करता था। सुबह-शाम प्रार्थना में, कभी आँख मीचकर, तो कभी दरवाजे
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