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जैनेन्द्र की कहानियां [द्वितीय भाग] ही तारीख थी। चौथी तारीख और मार्च का महीना । आज की यह चौथी मार्च का दिन मेरे जीवन की अन्तिम साध का अन्तिम दिन है। आज मुझे भी अन्तर्हित हो जाना है। मैंने जहर खाया है, तीन घण्टे होने आये हैं, अब जहर की अवधि का अन्तिम क्षण दूर नहीं है । मैं फिर दुनिया में न रहूँगी।"
रामेश्वर के देखते-देखते माँ की देह निष्प्राण होकर गिर पड़ी।
लेखकी और लीडरी को गड्ढे में डाल रामेश्वर फिर भूली हई अपनी फोटोग्राफरी के ज्ञान को चेताने लगा। साल-भर में उसने श्याम और श्याम की अम्माँ का पूर्णाकार चित्र तैयार कर पाया। जिस कमरे में वह चित्र लगा, वह उसके आत्मचिन्तन का कमरा बन गया । वहाँ और कोई चित्र न रह सकता था।
फोटोग्राफी को ही उसने अपना व्यवसाय और ध्येय बनाया। थोड़े ही समय में वह मार्के का फोटोग्राफर हो उठा।
सभी बढ़िया 'अखबारों में श्याम और उसकी अम्माँ का वह चित्र निकला, और सभी में उसकी सराहना हुई ।