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दिल्ली में
प्रमोद ने इसी साल वकालत शुरू की है और इसी साल ब्याह किया है। अभी छः महीने नहीं हुए कि अदालत की गर्मियों की छुट्टी हो गई । प्रमोद पत्नी-सहित अपनी छुट्टियाँ मनाने चले ।
शिमला जाएँगे रास्ते में दिल्ली भी पड़गई। तब सोचा दो एक दिन दिल्ली को भी दे दें, कुछ हर्ज नहीं । करुणा ने दिल्ली देखी नहीं है-यह काम भी निबट जायगा।
तो दिल्ली देखी गई यही सब चीज, और फिर चाँदनीचौक । चाँदनी चौक में खूब ही घूमे, और सब बड़े बाजार भी देख लिए, पर जी कुछ भरा नहीं । सोचा, यह तो दिल्ली नहीं है, दिल्ली के बाजार हैं, जहाँ अमीरी तनकर अपना प्रदर्शन करतीफिरती है, और जहाँ गरीबी अपने को अमीरी बाने में छिपाए शर्माए चलती है। ये तो बाजार हैं, जहाँ सजावट होती है, बनावट होती है और जहाँ मोल-तोल होता है। वह जगह तो देखी नहीं, जहाँ अमीरी सड़ती है और गरीबी सिकुड़ी पड़ी रहती है। वह
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