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अपना-अपना भाग्य
"कल कहाँ सोया था ?" “दुकान पर ।" "आज वहाँ क्यों नहीं ?" "नौकरी से हटा दिया ।" "क्या नौकरी थी?" "सब काम । एक रुपया और जूठा खाना । "फिर नौकरी करेगा ?" "हाँ..." "बाहर चलेगा ?" "हाँ..." "आज क्या खाना खाया ?" "कुछ नहीं।" "अब खाना मिलेगा ?" "नहीं मिलेगा।" "यों ही सो जायगा ?" "हाँ..." "कहाँ ?" “यहीं कहीं।" "इन्हीं कपड़ों से ?"
बालक फिर आँखों से बोलकर मूक खड़ा रहा। आँखें मानो बोलती थीं
"यह भी कैसा मूर्ख प्रश्न !" "माँ-बाप हैं ?"
"कहाँ ?"