________________
जैनेन्द्र की कहानियाँ [द्वितीय भाग मैंने कहा, "नहीं भैय्या, राक्षस नहीं होता।"
वह मेरी तरफ ताकता हुआ देखता रह गया। बोला, “राक्षस नहीं होता-बिल्कुल राक्षस नहीं होता ? तो फिर क्या बात है, अम्मा ? अब किवाड़ बन्द मत किया करो।" ___मैंने तो सुनके माथा ठोक लिया, बहन ! सोचा कि इस ज़रा से में भी तो बाप के लच्छन आ गए !