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________________ जैनेन्द्र और व्यवित २४५ होकर समाप्त हो जायगा। जैनेन्द्र के साहित्य मे ऊच-नीच, गरीब-अमीर आदि को श्रेरियो मे न विभाजित करके केवल व्यक्ति रूप से स्वीकार किया गया है । इस प्रकार उनकी दृष्टि मे व्यक्ति अर्थात् 'सर्व' के उदय मे ही सच्ची प्रगति का भाव निहित है । सर्वोदय का एकमात्र आधार प्रेम है । यदि परस्पर प्रेम का भाव तथा अहशून्यता हो तो 'पर' के निषेध से उत्पन्न सारे द्वन्द्व स्वत ही समाप्त हो जायगे । जैनेन्द्र की मानवतावादी दृष्टि गाधी के सर्वोदय के सिद्धात से ही प्रभावित प्रतीत होती है । वस्तुत जैनेन्द्र ने अपने युग की राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक आदि परिस्थितियो का चित्रण तथा उन परिस्थितियो मे व्यक्ति के उठते-गिरते मूल्यो, बदलते परिवेशो को अपने आदर्श के धरातल पर विवेचित किया है । जैनेन्द्र के साहित्य की विषयवस्तु बहुत ही व्यापक है। यद्यपि उन्होने प्रमुखत व्यक्ति-जीवन की अन्तनिष्ट सत्यता को ही उद्घाटित करने का प्रयास किया है, तथापि व्यक्ति के चतुर्मुखी विकास की ही अवहेलना नही की है । उन्हे समाज की वे ही विचारधाराए अभिभूत कर सकी है, जो व्यक्ति-हित मे केन्द्रित है। इस प्रकार उनकी साहित्यिक प्रतिक्रिया व्यक्ति को केन्द्रस्थ मानकर द्वन्द्वात्मक स्थितियो से गुजरती हुई अग्रसर होती है। जैनेन्द्र की दृष्टि समस्त वादो से तटस्थ प्रतीत होते हुए भी गाधी की सर्वोदय नीति की ओर झुकी हुई है। प्राध्यात्मिक मूल्यो की प्रतिष्ठा ___ जैनेन्द्र के अनुसार मानवमात्र की प्रगति का आधार जीवन मे आध्यात्मिक मूल्यो को प्रतिष्ठित करने मे ही निहित है । जैनेन्द्र ने अपनी नवीनतम कृति 'समय, समस्या और सिद्धान्त' मे स्पष्टत स्वीकार किया है कि--'भौतिक व्यवस्था की आवश्यकता के नीचे आध्यात्मिक मूल्यो को अपनाने से सत्ता और सम्पत्ति का स्वयं अवमूल्यन होगा । आपसी प्रतिस्पर्धा और आपाधापी की वृत्ति अनावश्यक होकर झरेगी, तब मूल्य बाह्य पदार्थ से हटकर भीतरी चरित्र मे निष्ठ होगा और देख सकेगा कि जो समता साम्यवाद से और सामाजिक समाजवाद से लानी अशक्यप्राय थी वह अनायास भीतर से उठती जा रही है।" १ जैनेन्द्रकुमार . 'समय, समस्या और समाधान', (अप्रकाशित)।
SR No.010353
Book TitleJainendra ka Jivan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKusum Kakkad
PublisherPurvodaya Prakashan
Publication Year1975
Total Pages327
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size43 MB
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