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अध्याय तीसरा। [१२५ देशविरत-२८,२४, २३, २२, २१ प्रमत्त-२८, २४, २३, २२, २१ अप्रमत्त–२८, २४, २३, २२, २१ अपूर्वकरण उपशममें-२८, २४, २१, क्षपकमें-२१ अनिवृत्तिकरण उपशममें-२८, २४, २१ । क्षपकमें-२१, १३, १०, ११, ५, ४, ३, २, १ सूक्ष्मसापराय उपशममें-२८, २४, २१ । क्षपक्रम-१ उपशांतमोह-२८, २४, २१
५ आयुकर्म-भुज्यमान आयु और बद्धमान आयुकी अपेक्षा २ आयुकी सत्ता ७ गुण थान तक होगी तथा ८-९-१०-११ उपशम श्रेणीमें भी २ की सत्ता रहेगी। फिर ८-९-१०-१२ क्षपकमें तथा १३-१४ गुणस्थानमें १ भुज्यमान आयुकी सत्ता रहेगी, अतः सत्वस्थान २ और १ के २ होंगे।
६ नामकर्म-इसके सत्वस्थान १३ हैं-९३, ९२, ९१,. ९०, ८८, ८४, ८२, ८०, ७९, ७८, ७७, १०, ९ इनका विवरण नीचे प्रकार है
नं० (१) ९३ नाम कर्मकी सर्व प्रकृति । नं० (२) ९२ तीर्थकर विना सब । नं० (३) ९१-९३ वें आहारक द्विक विना । नं० (४) ९०-९३ में तीर्थकर आहारक द्विक विना । नं० (५) ८८-९० में देवगति, देवगत्यानुपूर्वी विना । नं० (६) ८४८८ में नरकाति, नरकगत्यानुपूर्वी, बैंक्रियक शरीर, वैक्रियक अंगोपांग