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अध्याय तीसरा ।
नं० ३ उपर्युक्त ९ में भय विना नं० ४ ९ में भय जुगुप्सा विना
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३ मिश्र गुणस्थान ——यहां मिश्र दर्शनमोहका उदय होगा, अनंतानुवन्धी कषायका उदय न होगा, उदय स्थान ४ होंगे । ९
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८-८-७ ।
नं० १ - मिश्र प्रकृति
नं० ३
३ वेदों से वेद हास्य रति या शोक अरतिमेसे
भय जुगुप्सा
नं० ३.
नं० ४.
१
-अप्रत्याख्यान, प्रत्याख्यान, संज्वलन क्रोध या
मान या माया या लोभ ३
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नं० १ – सम्यक्त प्रकृति
३ अप्रत्याख्यानादि क्रोध, मान, माया या लोभ ३ वेदमेसे
हास्य रति या शोक अरतिमेसे एक भय जुगुप्सामेंसे
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१
नं० २ - उपर्युक्त ९ में जुगुप्सा विना ९ में भय विना
९ में भय जुगुप्सा विना
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४ अविरति सम्यक्त - यहा वेदक सम्यक्त्व सहित जीवके सम्यक्त मोहनीका उदय होगा, इस अपेक्षा ४ उदयस्थान होंगे ।
९-८-८-७
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