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________________ जैनधर्म का प्राण १७९ ही निरूपण मे अपना जीवन व्यतीत करते है, तथापि सत्य निरूपण की पद्धति और सत्य की खोज सब की एक-सी नही होती। बुद्धदेव जिस शैली मे सत्य का निरूपण करते है या शङ्कराचार्य उपनिषदो के आधार पर जिस ढग से सत्य का प्रकाशन करते है उससे भ० महावीर की सत्यप्रकाशन की शैली जुदा है। भ० महावीर की सत्यप्रकाशनशैली का दूसरा नाम 'अनेकान्तवाद' है। उसके मूल मे दो तत्त्व है-पूर्णता और यथार्थता । जो पूर्ण है और पूर्ण होकर भी यथार्थ रूप से प्रतीत होता है वही सत्य कहलाता है। __ वस्तु का पूर्ण रूप में त्रिकालाबाधित यथार्थ दर्शन होना कठिन है, किसी को वह हो भी जाय तथापि उसका उसी रूप मे शब्दो के द्वारा ठीकठीक कथन करना उस सत्यद्रष्टा और सत्यवादी के लिए भी बडा कठिन है। कोई उस कठिन काम को किसी अश मे करनेवाले निकल भी आएँ तो भी देग, काल, परिस्थिति, भाषा और शैली आदि के अनिवार्य भेद के कारण उन सबके कथन मे कुछ-न-कुछ विरोध या भेद का दिखाई देना अनिवार्य है यह तो हुई उन पूर्णदर्शी और सत्यवादी इने-गिने मनुष्यो की बात, जिन्हे हम सिर्फ कल्पना या अनुमान से समझ या मान सकते है। हमारा अनुभव तो साधारण मनुष्यो तक परिमित है और वह कहता है कि साधारण मनुष्यों मे भी बहुत-से यथार्थवादी होकर भी अपूर्णदर्शी होते है। ऐसी स्थिति मे यथार्थवादिता होने पर भी अपूर्ण दर्शन के कारण और उसे प्रकाशित करने की अपूर्ण सामग्री के कारण सत्यप्रिय मनुष्यों की भी समझ मे कभी-कभी भेद आ जाता है और सस्कारभेद उनमे और भी पारस्परिक टक्कर पैदा कर देता है । इस तरह पूर्णदर्शी और अपूर्णदर्शी सभी सत्यवादियो के द्वारा अन्त मे भेद और विरोध की सामग्री आप ही आप प्रस्तुत हो जाती है या दूसरे लोग उनसे ऐसी सामग्री पैदा कर लेते है। भ० महावीर के द्वारा सशोधित अनेकान्तदृष्टि और उसकी शर्ते ऐसी वस्तुस्थिति देखकर भ० महावीर ने सोचा कि ऐसा कोन-सा रास्ता निकाला जाए जिससे वस्तु का पूर्ण या अपूर्ण सत्य दर्शन करनेवाले के साथ अन्याय न हो। अपूर्ण और अपने से विरोधी होकर भी यदि दूसरे का दर्शन सत्य है, इसी तरह अपूर्ण और दूसरे से विरोधी होकर भी यदि अपना
SR No.010350
Book TitleJain Dharm ka Pran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSukhlal Sanghavi, Dalsukh Malvania, Ratilal D Desai
PublisherSasta Sahitya Mandal Delhi
Publication Year1965
Total Pages236
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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