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एक बहुत बड़ा भाग यवनों को बंटवारे में किस आधार पर दे दिया गया एवं आज भी जो यत्रन भारत में रहते हैं वे भारतीय नहीं हैं तो उनको क्यों रहने दिया जाता है ? भारत दोसौ वर्ष पहले भी परतत्र था, इस की इतिहास कभी साक्षी नहीं देता । हां जों के शासनकाल से भारत को अवश्य परतंत्र कहा जायगा | अब देखना यह है कि क्या भारतवर्ष जातिस के कारण परतंत्र हुआ था ?
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वास्तव में बात यह थी कि यवन शासन में वनेतरों पर बड़े अत्याचार हुए | यवनेतरों को जबर्दस्ती यवन बना लिया जाता था, जो न मानते उनको मार डाला जाता था, यवनेतरों को धर्मस्थान नष्ट किये जाते थे इसी प्रकार और भी अत्यंत घोर अत्याचार होते थे । जिससे यवनेतर लोग पूर्ण त्रस्त थे । यवनेतर यवन-शासन के कारण निर्बल और शस्त्रहीन मे भी हो गये थे । आर्य राजाओं को भी सत्ता के हाथ ही बिकना पड़ा था क्यों कि निर्बल शासन कभी स्वतंत्रता का उपभोग नहीं कर सकता, जैसा कि वर्तमान ५६२ स्वतंत्र रियास्तों का हाल हुआ है । इस प्रकार मन ही मन यवन शासन के भारत की बहुभाग आर्या विरुद्ध थी। शासन सत्ता के प्राबल्य कारण बहुभाग जनता अपना संघटन भी नहीं कर सकती जैसे कि आज के शासन के प्रभाव से अन्य बहुभाग जनता मानसिक ; विरोध होते हुये भी संघटन नहीं कर सकती ।