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जैनधर्म
ऊपर मध्य में एक कोट बना है उसके अन्दर बड़े-बड़े प्राचीन १४ मन्दिर हैं । मन्दिरोंमें बड़ी-बड़ी विशाल प्राचीन प्रतिमाएँ हैं। एक गुफा में श्रीभद्रबाहु स्वामीके चरण चिह्न बने हुए हैं जो लगभग एक फुट लम्बे हैं ।
ऐतिहासिक दृष्टिसे यह पहाड़ी बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इसपर बहुत से प्राचीन शिलालेख अंकित हैं, जो मुद्रित हो चुके हैं ।
नीचे ग्राम में भी सात मन्दिर और १३ चैत्यालय हैं । एक मन्दिर में चित्रकलासे शोभित कसौटी पाषाणके स्तम्भ हैं। यहाँ भी श्रीभट्टारक चारुकीर्ति जी महाराजकी गद्दी है । उनके मन्दिर में भी कुछ रत्नोंकी प्रतिमाएँ है । बड़ा अच्छा शास्त्र भंडार है । एक दिगम्बर जैन पाठशाला है ।
इस प्रान्तमें अन्य भी अनेक स्थान हैं जहाँ जैन मन्दिर और मूर्तियाँ दर्शनीय हैं ।
V
उड़ीसा प्रान्त
खण्डगिरि - उड़ीसा प्रान्तकी राजधानी कटक है। कटकके आस-पास हजारों जैन प्रतिमाएँ हैं । किन्तु उड़ीसा में जैनियोंकी संख्या कम होने से उनकी रक्षाका कोई प्रबन्ध नहीं है । कटकसे ही सुप्रसिद्ध खण्डगिरि उदयगिरिको जाते हैं। भुवनेश्वरसे पाँच मील पश्चिम पुरी जिलेमें खण्डगिरि उदयगिरि नामको दो पहाड़ियाँ हैं। दोनोंपर पत्थर काटकर अनेक गुफाएँ और मन्दिर बनाये गये हैं, जो ईसासे लगभग ५० वर्ष पहलेसे लेकर ५०० वर्ष बाद तकके बने हुए हैं। उदयगिरिकी हाथी गुफामें कलिंग चक्रवर्ती जैन सम्राट खारवेलका प्रसिद्ध शिलालेख अंकित है ।
४. जैनधर्म और इतर धर्म
जैनधर्मकी आवश्यक बातोंका परिचय करा चुकनेके बाद 'उसका इतर धर्मोके साथ क्या कुछ सम्बन्ध है' आदि बातोंपर भी एक सरसरी निगाह डालनेका प्रयत्न करना अनुचित न