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________________ विविध ३४३ वान महावीरके निर्वाण दिवसके उपलक्ष में यहाँ बहुत बड़ा मेला भरता है । राजगृही या पंच पहाड़ी - पावापुरीसे ११ मोल राजगृही है । एक समय यह मगध देशकी राजधानी थी । यहाँ २० वें तीर्थङ्कर मुनिसुव्रतनाथका जन्म हुआ था । राजगृहीके चारों ओर पाँच पर्वत है उनके बीचमें राजगृही बसी थी। इसीसे इसे पंचपहाड़ी भी कहते हैं। महावीर भगवानका प्रथम उपदेश इसी नगरीके विपुलाचल पर्वतपर हुआ था । पाँचों पहाड़ोंके ऊपर जैन मन्दिर बने हैं। इन सभीकी बन्दना करनेमें १५-१६ मीलका चक्कर पड़ जाता है । कुण्डलपुर - यह राजगृहीसे १० मीलपर है । भगवान महावीरका जन्म स्थान मानकर पूजा जाता है । मन्दारगिरि—भागलपुरसे ३० मीलपर यह एक छोटासा पहाड़ है । इसीको बारहवें तीर्थङ्कर श्रीवासुपूज्य स्वामीका मोक्ष स्थान माना जाता है । किन्तु वर्तमानमें चम्पापुरको ही पाँचों कल्याणकोंका स्थान माना जाता है। भागलपुर से ४ मील नाथ नगर हैं और वहाँसे २ मीलपर चंपापुर है । पटना - यह विहार प्रान्तकी राजधानी है। पटना सिटीमें गुलजारबाग स्टेशनके पास में ही एक छोटी-सी टीकरीपर चरणपादुकाएँ स्थापित हैं । यहाँसे सेठ सुदर्शनने मुक्तिलाभ किया था। इनकी जीवन कथा अत्यन्त रोचक और शिक्षाप्रद है । उत्तर प्रदेश बनारस – इन नगरके भदैनीघाट मुहालमें गंगा के किनारेपर दो विशाल दि० जैन मन्दिर तथा एक श्वे० मन्दिर बने हैं जो सातवें तीर्थङ्कर भगवान सुपार्श्वनाथके जन्म स्थान रूपसे माने जाते हैं । यहाँपर जैनोंका अतिप्रसिद्ध म्याद्वाद महाविद्यालय स्थापित है जिसमें संस्कृत और जैनधर्मकी ऊँचीसे ऊँची शिक्षा दी जाती है । भेलुपुर मुहल्लामें भी दोनों सम्प्रदायोंके मन्दिर
SR No.010347
Book TitleJain Dharm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKailashchandra Shastri
PublisherBharatiya Digambar Sangh
Publication Year1966
Total Pages411
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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