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सिद्धान्त
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निकाचना — उसमें उत्कर्षण, अपकर्षण, संक्रमण और उदीरणाका न हो सकना निकाचना है ।
कर्मकी इन अनेक दशाओंके सिवाय जैनसिद्धान्तमें कर्मका स्वामी, कर्मोंको स्थिति, कब कौन कर्म बँधता है ? किसका उदय होता है, किस कर्मकी सत्ता रहती है, किस कर्मका क्षय होता है आदि बातोंका विस्तार से वर्णन है ।