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चतुर्थ संस्करणके सम्बन्धमें जैनधर्मका चतुर्थ संस्करण पाठकोंके सामने है। इसका तीसरा संस्करण १९५५ में प्रकाशित हुआ था, ११ वर्ष बीतनेपर यह चौथा संस्करण प्रकाशित हो रहा है। इसके इतिहास विभागमें तथा विविधमें कुछ वृद्धि की गई है। शेष सब पूर्ववत् है। इसका मराठी संस्करण जीवराज जैन ग्रन्थमाला शोलापुरसे प्रकाशित हो चुका है। कनड़ी संस्करण भी तैयार हो रहा है। अंग्रेजी संस्करणको आवश्यकता है। क्योंकि अंग्रेजीमें भी इस प्रकारको पुस्तककी कमी है।
पुस्तकको पृष्ठ संख्या पिछले संस्करणको अपेक्षा बढ़ गई है । कागज और छपाई वगैरहका भाव भी बहुत बढ़ गया है। फिर भी प्रचारको दृष्टिसे मूल्य पुराना ही रखा गया है । आशा है धर्मप्रेमी इससे लाभ उठावेंगे।
वी. नि. सं० २४९२ ) भदैनी, वाराणसी
कैलाशचन्द्र शास्त्री