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जैनदार्शनिक साहित्य भावविजय पत्रिंशत्जल्प- जैनग्रन्थ अन्धकारमें (१७वीं) विचार विनयविजय नयकर्णिका
प्रकाशित (१७वीं) षट्त्रिंशत्जल्पसंक्षेप जैनग्रन्थ ग्रन्थकारमें यशोविजय अष्टसहस्रीविवरण, प्रकाशित (१८वों) अनेकान्तव्यवस्था,
ज्ञानबिन्दु ( नव्यशैलीमें ), जैनतर्कभाषा, देवधर्मपरीक्षा, द्वात्रिंशत् द्वात्रिशंतिका, धर्मपरीक्षा, नयप्रदीप, नयोपदेश, नयरहस्य, न्यायखण्डखाद्य ( नव्यशैली). न्यायालोक, भाषारहस्य, शास्त्रवार्तासमुच्चयटीका, उत्पादव्यय ध्रौव्यसिद्धिटीका, ज्ञानार्णव, अनेकान्त प्रवेश, गुरुतत्त्वविनिश्चय, आत्मख्याति, जैनग्रन्थ ग्रन्थकारमें तत्त्वालोकविवरण, त्रिसूत्र्यालोक, द्रव्यालोकविवरण,