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सूक्ति-सुधा
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में नेता रूप है, विश्व की सभी जीव योनियो के ये ज्ञाता है, ये जगत के गुरु है, अज्ञान रूप अन्धकार का नाश कर ज्ञान-रूप प्रकाश के करने वाले है, तथा संसार मे शाति, सुख और आनन्द की पवित्र त्रिवेणी बहाने वाले है।
( १४) खेयन्नए से कुसलासुपन्ने, अणंतनाणी य अणंतदंसी!
सू०, ६, ३ टीका--भगवान महावीर स्वामी संसार के प्राणियो का दुःख जानने वाले थे, आठ प्रकार के कर्मो का छेदन करने वाले थे, सदा सर्वत्र उपयोग रखने वाले थे, एव अनन्त ज्ञानी और अनन्त दर्शी थे।
(१५) अणुत्तरे सव्व जर्गसि विज्ज, गथा अतीते अभए अणाऊ ।
सू०, ६, ५ टीका-वे दीर्घ तपस्वी भगवान् महावीर स्वामी सबसे उत्तम विद्वान् महापुरुष थे। वाह्य और आभ्यतर दोनो प्रकार की ग्रथियो से रहित थे। निर्भय थे, और चरम शरीरी थे।
(१६) अणुत्तरं धम्म मिणं जिणाणं, णेया मुणी कासव आसुपन्ने ।
सू०, ६, ७ टीका- राग और द्वेष को आत्यंतिक रूप से जीतने वाले महापुरुषो का-जिनेन्द्रो का यह धर्म है, जो कि श्रेष्ठ है । इसके नेता प्रभु महावीर स्वामी है, जो कि निर्ग्रन्थ है, अनासक्त है, इन्द्रियविजयी है और सतत अनन्त ज्ञानशाली है।