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व्याख्याकोष ]
शक्ति से ही याने अवधि ज्ञान, मन पर्याय ज्ञान, और केवल ज्ञान द्वारा जाना जा सकता हो, वह सूक्ष्म रूपी होता है ।
पहाड, नदी, सूर्य, चन्द्र, तारे, वृक्ष, जल, अग्नि, हवा, वनस्पति, शब्द, गंध, खाने पीने की वस्तुए, मिट्टी, छाया धूप, आदि तो स्थूल रूपी पुद्गल है और कर्म परमाणु, आहारक शरीर परमाणु, तेजस शरीर परमाणु इत्यादि विभिन प्रकार के परमाणु सूक्ष्म रूपी पुद्गल कहलाते है ।
९ -- रौद्र ध्यान
हिमा, निर्दयता, जुल्म, अत्याचार, शोषण, भयकरता आदि दुष्ट आचरण और नीच कृत्यों का ध्यान करना, इनका विचार करना रौद्र ध्यान है !
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१--लक्षण
जिस विशेष चिह्न के आधार से किसी की पहिचान की जाय, जो विशेष चिन्ह उसी पदार्थ में पाया जाय तथा अन्य मे नही पाया जाय, ऐसे असाधारण धर्म को – विशेष चिह्न को "लक्षण" कहा जाता है, जैसे कि आत्मा का लक्षण ज्ञान, पुद्गल का लक्षण रूप, अग्नि का लक्षण उष्णता आदि ।
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.२. -लालसा
तीव्र इच्छा । ऐसी महती अभिलाषा कि जिसकी पूर्ति करने के लिये व्य हो जाना । ऐसी असाधारण कामना - कि जिसको परिपूर्ण करने के लिये अधा
हो जाना ।
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३ - लेश्या
योग और कषाय के सयोग से आत्मा मे जो विचारों की विशेष - विशेष तरगं उत्पन्न हुआ करती है उन्हें ही लेश्या कहते हैं । यदि कषाय की कलुषित अवस्था वहुत ही तीव्र और भयानक हुई तो लेश्या की तरंगें भी बहुत अनिष्ट और निकृष्ट होगी इसके विपरीत यदि कषाय की स्थिति सर्वथा नहीं
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