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व्याख्या कोष ]
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७ - अनुकंपा
सताये जाते हुए और मारे जाते हुए, पीडित प्राणी के प्रति दया लाना ।
८- अनुभाव
प्रत्येक जीव में होने वाले क्रोध, मान, माया और लोभ के कारण जीव के साथ बधने वाले कर्मों में फल देने की जो शक्ति पैदा होती है, वह अनुभाव है ।
९ - अनुभूति
परिस्थितियो से और काल-क्रम से पैदा होने वाला ज्ञान | पाचो इन्द्रियों और मन से उत्पन्न होने वाला अनुभव रूप ज्ञान ।
१० -- अनुमान
कारणो को देखकर अथवा जानकर उनके आधार से मूल कार्यों का ज्ञान -कर लेना । जैसे घुंऐ द्वारा दूर से ही आग का होना जान लेना ।
११ - अनत
जिसकी कोई सीमा नही हो, अथवा जिसका तीनो काल में भी अन्त नही आवे । अनन्त के तीन भेद है १ जघन्य अनन्त, २ मध्यम अनन्त और
३ उत्कृष्ट अनन्त ।
१२- अप्रतिपाति दर्शन
ईश्वर, आत्मा, पाप, पुण्य आदि धार्मिक सिद्धान्तो के प्रति पूर्ण विश्वास “रखना "दर्शन" है, मोर ऐसा दर्शन प्राप्त होकर फिर कभी भी नष्ट न हो, मोक्ष के पाने तक बरावर बना रहे, वह अप्रतिपाति दर्शन है ।
१३ - - अविनाभाव सबध
दो पदार्थों का अन्योन्याश्रय - सवध, पारस्परिक सबब, अर्थात् एक के होने पर दूसरे का होना, दूसरे के नही होने पर पहले का भा नहा होना | अग्नि और घुंए का “ अविनाभाव सबघ" कहलाता है ।
१४- अभक्ष्य
ऐसे पदार्थ जो अहिंसा प्रेमा के खाने पीन के योग्य नही होते है, वे भक्ष्य है |