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[मूल-सूक्तियाँ
७२०--मदस्सावियाणओ।
( बाल २४) ७२१--मदा नरय गच्छन्ति, वाला पावियाहिं दिट्ठीहिं ।।
( बाल २५) ७२२–मदा मोहेण पाउडा।
( वाल १६ ) ७२३-मदा विसीयति उज्जाणसि व दुबला। (वाल २० )
७२४-मदा विसीयति, मच्छा विट्ठा व केयणे। ( भोग १५ )
७२५--रक्खिज्ज कोह विणएज्ज माण। ( उपदेश ४३ ) ७२६-रमइ अज्ज वयणम्मि, त वय वूम माहण । (प्रकी १)
७२७--रयाइ खेवेज्ज पुराकडाइ ।
( उपदेश ८१ ) ७२८-रसगिद्धे न सिया। .
( उपदेश ६२) ७२९-रसाणुरत्तस्स नरस्स एव कत्तो सुह होज्ज कयाइ किंचि ।
( मनिष्ट २२) '७३०~रसा पगाम न निसेवियन्वा ।
( भोग ६ }
७३१-~रसेमुजो गिद्धि मुवेइ तिब्ब, अकालिय पावइ से विणासं।
(योग २०) ७३२-~राई भोयण विरमो जीवो भदड अणासवो । ( वर्म १६)
७३३-राग दोस भयाईय, तं वय वूम माहणं । (प्रकी २) ७३४-रागदोसस्सिया वाला पाव कुवंति ते बहु । (बाल २२) ७३५-रागहोसादओ तिन्वा, नेह पासा भयंकरा। (कपाय ३ )