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सूक्ति-सुधा ] 7
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पंचविहे सोए, पुढविसोए, आउसोए, तेउ सोए, मंतसोए, बंभसोए ।
ठाणा०, ५वा,ठा, उ, ३, ६ टीका-पांच प्रकार की वस्तुओ से पवित्रता का कार्य सपादन - किया जा सकता है।
१ पृथ्वी-मिट्टी से, २ पानी-से, ३ अग्नि से, ४ मत्र से और ५ ब्रह्मचर्य से ।
( ४२ ) पंचविहे ववहारे, अागमे, सुए, आणा, धारणा, जीए। .
ठाणा०, ५ वा, ठा, उ, २, ७ टीका-पाच प्रकार के व्यवहार कहे गये है ~~-१ आगम, २ सूत्र ३ आज्ञा, ४ धारना, और ५ जीत ।
(१) केवल ज्ञानी, मन पर्याय ज्ञानी, अवधि ज्ञानी, पूर्वधर - आदि का जीवन-व्यवहार-आगम-व्यवहार है ।
(२) सूत्रानुसार व्यवहार सूत्र-व्यवहार है।
(३) अनुभवी, विद्वान् महापुरुष की आज्ञानुसार व्यवहार करना - आज्ञा-व्यवहार है।
(४) पूर्व महापुरुष कृत व्यवहार को देखकर और प्रसगोपात्त उसे याद कर तदनुसार व्यवहार करना धारणा-व्यवहार है।
(५) परम्परा से चले आये हुए व्यवहार के अनुसार व्यवहार: करना जीत-व्यवहार है।
आगम-व्यवहार के सद्भाव मे शेष चार निषिद्ध है। सूत्र-व्यवहार के सद्भाव में शेष तीन निषिद्ध है।