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( ३७ )
खंति सूरा अरहंता, तवसुरा अणगारा, दाण सूरे वेसमणे, जुद्धसरे वासुदेवे । ठाणां०, ४था, ठा, उ, ३, ७
टीका -- क्षमा-शूरो मे सर्वोत्तम क्षमा-शूर अरिहंत हैं । तपशूरों में असाधारण तप-शूर अणगार - साधु होते हैं । दानियों में दान - शूर वैश्रमण है और युद्ध मे शूर-वीर वासुदेव हैं । ( ३८ ) चत्तारि बिकहाओ परणत्ताओ,
इत्यिकहा, भत्त कहा, देख कहा, राय कहा ।
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ठाणा०, ४था, ठा, उ २, ६
टीका - चार प्रकार की विकथाऐ कही गई है : -- १ स्त्री कथा, २ भोजन कथा, ३ देश - कथा और ४ राज कथा ।
[ प्रकीर्णक-सूत्र
- ( ३९ )
चत्तारि झाणा, अहे झोण,
रोदे झाणे, धम्मे, भाणे, सुक्के झाो ।
ठाणां०, ४था, ठा, उ, ११५
टीका - ध्यान चार प्रकार के कहे गये है : - आर्त्तध्यान,
रौद्रध्यान, धर्मध्यान और शुक्लध्यान ।
( ४० ) चडविहे वत्रे,
गज्जे, पज्जे, कत्थे, गेये ।
ठाणा०, ४था, ठा, उ, ४, ४३
टीका- -चार प्रकार का काव्य कहा गया है
३ कथा, और ४ गेय ।
-१ गद्य, २ पद्य,