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धर्म-सूत्र
(१) धम्मो मंगल मुक्किट्ठ।
द०, १,१ टीका-धर्म सवसे उत्कृष्ट मगल है। वह शारीरिक, मानसिक और आत्मिक शाति का देने वाला है। ससार-सुख और मोक्ष सुख का दाता है।
धम्मो दीवो।
उ०, २३, ६८ • टीका-संसार रूप समुद्र मे ड्वते हुए भव्य जीवो के लिये धर्म ___ ही एक मात्र द्वीप समान है। धर्म ही आधार-भूत है।
दीवे. ध धम्म ।
टीका-जैसे दीपक अधकार को नष्ट करता है, वैसे ही धर्म - भी यानी मनुष्यका पुनीत चारित्र और निर्दोप आचरण भी ससार रूपी अंधकार का नाश करने वाला है। .
धम्मे हरए बम्भे सन्ति तित्थे।
. उ०, १२,४६ . ' टीका-धर्म रूपी निर्मल तालाव है और उसमें ब्रह्मचर्य रूपीशान्तिमय सुन्दर घाट है। ऐसे घाट द्वारा ऐसे तालाब में स्नान करने,