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________________ सिद्ध द्वार १ पहली नरक के निकले हुवे एक समय में जघन्य एक सिद्ध होवे, उत्कृष्ट दश सिद्ध होते है । __ २ दूसरी नरक के निकले हुवे एक समय मे जघन्य एक सिद्ध, उत्कृष्ट दश सिद्ध होते है। ३ तीसरी नरक के निकले हुवे एक समय में जघन्य एक सिद्ध, उत्कृष्ट दश सिद्ध होते है। ४ चौथी नरक के निकले हुवे एक समय में जघन्य एक, उत्कृष्ट चार सिद्ध होते है। ५ भवनपति के निकले हुवे एक समय में जघन्य एक, उत्कृष्ट दश सिद्ध होते है। ६ भवनपति की देवियों में से निकले हुवे एक समय में जघन्य एक, उत्कृष्ट पांच सिद्ध होते है । ७ पृथ्वीकाय के निकले हुए एक समय में जघन्य एक, उत्कृष्ट चार सिद्ध होते है। ८ अपकाय के निकले हुए एक समय मे जघन्य एक उत्कृष्ट चार सिद्ध होते है। ६ वनस्पति काय के निकले हुए एक समय में जघन्य एक उत्कृष्ट छः सिद्ध होते है। १० तिर्यञ्च गर्भज के निकले हुए एक समय मे जघन्य एक, उत्कृष्ट दश सिद्ध होते है। 47
SR No.010342
Book TitleJainagam Stoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Maharaj
PublisherJain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar
Publication Year2000
Total Pages603
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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