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२५ बोल
आंक एक तेतीस ३३ का .-तीन करण व तीन योग से त्याग लेवे । भांगा एक
१ करू नहीं, कराऊ नही, अनुमोदूनही, मन से, वचन से, काया से । एव ४६ भांगा।
. २४ पच्चीसवे बोले 'चारित्र' पाच :
१ सामायिक चारित्र २ छेदोपस्थानिक चारित्र ३ परिहार विशुद्ध ___ चारित्र ४ सूक्ष्म सपराय चारित्र ५ यथाख्यात चारित्र ।
१ आत्मा का पर भाव से दूर होना और स्वभाव मे रमण करना ही चारित्र है।