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________________ २५ बोल ७७ चौवीसवे बोले श्रावक के बाहर व्रत के ४६ भांगे : आक एक ग्यारह ११ का ---एक करण एक योग से प्रत्याख्यान (त्याग) करे । इसके भागे ६ अमुक दोष युक्त कर्म जिसका मैने त्याग लिया है उसे १ करू नही मन से २ करू नही वचन से ३ करू नही काया से, ४ कराऊं नही मन से ५ कराऊ नही वचन से ६ कराऊ नही काया से, ८ करते हुए को अनुमोदू (सराहू) नही मन से ८ करते हुवे को अनुमोदू नही वचन से ६ करते हुए को अनुमोदूनही काया से । एव नव भागे । ____ आक एक बारह (१२) का :-एक करण और दो योग से त्याग करे। इसके नव भागे १ करूनही मन से वचन से २ करूनही मन से काया से ३ करूं नहीं वचन से काया से ४ कराऊ नही मन से वचन से ५ कराऊ नही मन से काया से ६ कराऊनही वचन से काया से । ७ करते हुवे को अनुमोदू नही मन से वचन से ८ करते हुवे को अनुमोदू नही मन से काया से ६ करते हुवे को अनुमोदूनही वचन से काया से । आक एक तेरह १३ का .-एक करण और तीन योग से त्याग करे । भागा तीन १ करू नही मनसे, वचन से, काया से, २ कराऊ नही मनसे वचन से, काया से, ३ करते हुवे को अनुमोदूनही मन से, वचन से, काय। से, एवं कुल (e+६+३) २१ भांगा। आक एक इक्कीस २१ का:-दो करण और एक योग से त्याग करे। भागा नव १ करू नही कराऊ नही मन से २ करू नही कराऊ नही वचन, से ३ करू नहीं कराऊ नही काया से ४ करूं नही अनुमोदूनही मन से ५ करू नही अनमोदू नही वचन से ६ करू नही अनुमोदू
SR No.010342
Book TitleJainagam Stoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Maharaj
PublisherJain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar
Publication Year2000
Total Pages603
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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