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________________ 1 - ' २५ बोल ७५ । अरसी, अस्पर्शी (अरूपी) अमूर्तिमान ५ गुण से चलन गुण । जैसे पानी मे मछली का दृष्टान्त । २ अधर्मास्तिकाय के पांच भेद –१ द्रव्य से एक द्रव्य २ क्षेत्र से लोक प्रमाण ३ काल से आदि अत रहित ४ भाव से अमूर्ति मान ५ गुण से स्थिर गुण । अधर्मास्तिकाय को थके हुए पक्षी को वृक्ष का आश्रय ( विश्राम ) का दृष्टान्त । ३ आकाशास्तिकाय के पांच भेद –१ द्रव्य से एक द्रव्य २ क्षेत्र से लोकालोक प्रमाण ३ काल से आदि अन्त रहित ४ भाव से अमूर्तिमान ५ गुण से आकाश का विकास गुण । आकाशास्तिकाय को दुग्ध मे शर्करा का दृष्टान्त । ___ ४ काल द्रव्य के पॉच भेद –१ द्रव्य से अनन्त द्रव्य २ क्षेत्र से समय क्षेत्र प्रमाण ३ काल से आदि अन्त रहित ४ भाव से अमूर्तिमान ५ गुण से नूतन (नया) जीर्ण (पुराणा) वर्तना लक्षण । काल को नया पुराना वस्त्र का दृष्टान्त । __ ५ पुद्गलास्ति काय के पांच भेद :–१ द्रव्य से अनत द्रव्य २ क्षेत्र से लोक प्रमाण ३ काल से आदि अत रहित ४ भाव से वर्ण, गन्ध, रस स्पर्श सहित ५ गुण से मिलना गलना, विनाश होना, जीर्ण होना, व बिखरना । पुद्गलास्ति काय को बादलो का दृष्टान्त । ६ जीवास्तिकाय द्रव्य के पाँच भेद :-१ द्रव्य से अनत २ क्षेत्र । से लोक प्रमाण ३ काल से आदि अत रहित ४ भाव से अमूर्तिमान (अरूपी) ५ गुण से चैतन्य उपयोग लक्षण । जीवास्तिकाय द्रव्य को चन्द्रमा का दृष्टान्त । इकवीसवे बोले राशि' दो .-- १ जीव राशि २ अजीव राशि । १ समूह को राशि कहते है । जगत् मे जीव तथा पुद्ल द्रव्य अनन्त है। इनके समूहो को राशि रहते है ।
SR No.010342
Book TitleJainagam Stoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Maharaj
PublisherJain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar
Publication Year2000
Total Pages603
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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