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________________ जैनागम स्तोक संग्रह ५७४ लोक के अचरम प्रदेश असंख्य गुणा, उनसे अलोक के अचरम प्रदेश अनन्त गुणा, उनसे लोकालोक के चरमाचरम प्रदेश विशेष । लोकालोक में द्रव्य - प्रदेश चरमाचरम का अल्पबहुत्व : - सबसे कम लोकालोक के चरम द्रव्य, अस० गुणा, उनसे अलोक के चरम द्रव्य विशेष, उनसे लोक के चरम प्रदेश असफ्य गुरणा, उनसे अलोक के चरम प्रदेश विशेष, उनसे लोक के अचरम प्रदेश असख्य गुणा, उनसे अलोक के अचरम प्रदेश अनन्त उनसे लोकालोक के चरम प्रदेश विशेष | एवं & बोल, सब द्रव्य प्रदेश और पर्याय १२ बोलो का अल्पबहुत्व - सबसे कम लोकालोक के चरम द्रव्य, उनसे लोक के चरम द्रव्य, असंख्य गुणा, उनसे अलोक के चरम द्रव्य विशेष, उनसे लोकालोक के चरमाचरम द्रव्य विशेष, उनसे लोक के चरम प्रदश असख्य गुरणा उनसे अलोक के चरम प्रदेश विशेष, उनसे लोक के अचश्म प्रदेश असंख्य गुणा, उनसे अलोक के अचरम प्रदेश अनन्त गुणा, उनसे लोकालोक के चरमाचरम प्रदेश विशेष, उनसे सब द्रव्य विशेष, उनसे सब प्रदेश अनन्त गुणा, उनसे सब पयय अनन्त गुणी । Com
SR No.010342
Book TitleJainagam Stoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Maharaj
PublisherJain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar
Publication Year2000
Total Pages603
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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