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________________ चरम पद ५७३ विमान, १ सिद्ध शिला, १ लोक और १ अलोक एवं ३६४४=१४४ बोल होते है। इन ३६ बोलों की चरम प्रदेश में तारतम्यता है । अल्पबहुत्वरत्नप्रभा के चरमाचरम द्रव्य और प्रदेशो का अल्पबहुत्व .-सव से कम अचरम द्रव्य, उनसे चरम द्रव्य असख्यात गुणा, उनसे चरमाचरम द्रव्य विशेष । सब से कम चरम प्रदेश, उनसे अचरम प्रदेश असख्यात गुणा, उनसे चरमाचरम प्रदेश विशेष । द्रव्य और प्रदेश का एक साथ अल्पबहुत्व -सबसे कम अचरम द्रव्य, उनसे चरम द्रव्य असख्यात गुणा, उनसे चरमाचरम द्रव्य विशेष, उनसे चरम प्रदेश असख्यात गुणा, उनसे अचरम प्रदेश असख्यात गुणा, उनसे चरमाचरम प्रदेश विशेष, इसी प्रकार के लोक सिवाय ३५ बोलो का अल्पबहुत्व जानना । अलोक में द्रव्य का अल्पबहुत्व .-सबसे कम अचरम द्रव्य, उनसे चरम द्रव्य असख्य गुरणा ,उनसे चरमाचरम द्रव्य विशेष । प्रदेश का अल्पबहुत्व - सबसे कम चरम प्रदेश, उनसे अचरम प्रदेश अनत गुणा, उनसे चरमाचरम प्रदेश विशेष । द्रव्य प्रदेश का अल्पबहुत्व -सबसे कम अचरम द्रव्य, उनसे चरम द्रव्य असख्य गुणा, उनसे चरमाचरम द्रव्य विशेष, उनसे चरम प्रदेश असख्य गुरणा, उनसे अचरम प्रदेश अनत गुणा, उनसे चरमाचरम प्रदेश विशेष । लोकालोक में चरमाचरम द्रव्य का अल्पवहत्व । सब से कम लोकालोक के चरम द्रव्य, उनसे लोक के चरम द्रव्य असख्य गुणा, उनसे अलोक के चरम द्रव्य विशेष, उनसे लोकालोक के चरमाचरम द्रव्य विशेष । लोकालोक में चरमाचरम प्रदेश का अल्पबहुत्व :-सब से कम लोक के चरम प्रदेश, उनसे अलोक के चरम प्रदेश विशेष, उनसे
SR No.010342
Book TitleJainagam Stoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Maharaj
PublisherJain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar
Publication Year2000
Total Pages603
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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