SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 549
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ज्योतिषी देव विस्तार ५३१ ज्यो० विमान फिरते है । अर्थात् १००००+११२१+११२१=१२२४२ योजन का अन्तर है । अलोक और ज्यो० देवो का अन्तर ११११ यो० का मांडलापेक्षा अन्तर मेरु पर्वतसे ४८८० यो० अन्दर के माडल का और ४५३० यो० वाहर के मडल का अन्तर है। चन्द्र चन्द्र के मडल का १५ ३९४यो० का और सूर्य सूर्य का मडल का दो यो० का अन्तर है। निर्याघात अपेक्षा ज० ५०० धनुष्य का और उ० २ गाउ का अन्तर है। ___ सख्या द्वार-जम्बू द्वीप मे २ चन्द्र, २ सूर्य है लवण समुद्र मे ४ चन्द्र, ४ सूर्य है धातको खण्ड मे १२ चन्द्र, १२ सूर्य है कालोदधि समुद्र मे ४२ चन्द्र, ४२ सूर्य है। पुष्करार्ध द्वीप मे ७२ चन्द्र, ७२ सूर्य है एव मनुष्य क्षेत्र में १३२ चन्द्र १३२ सूर्य है । आगे इसी हिसाव से समझना अर्थात् पहले द्वीप व समुद्र मे जितने चन्द्र तथा सूर्य होवे उनको तीन से गुणा करके पीछे की सख्या गिनना (जोडना)। दृष्टात-कालोदधि मे चन्द्र सूर्य जानने के लिये उससे पहले धातकी खण्ड मे १२ चन्द्र १२ सूर्य है उन्हे १२४३ =३६ में पोछे को सख्या (लवरण समुद्र के ४ और जम्बू द्वीप के २ एवं ४+२=६) जोडने से ४२ हुवे। परिवार द्वार-एकेक चन्द्र और एकेक सूर्य के २८ नक्षत्र, ८८ ग्रह और ६६९७५ कोड क्रोड तारो का परिवार है। इन्द्र द्वार-असख्य चन्द्र, सूर्य है ये सर्व इन्द्र है परन्तु क्षेत्र अपेक्षा १ चन्द्र इन्द्र और १ सूर्य इन्द्र है। सामानिक द्वार-एकेक इन्द्र के ४-४ हजार सामानिक देव है। आत्म रक्षक द्वार-एकेक इन्द्र के १६-१६ हजार आत्म रक्षक देव है। परिषदा-तीन-तीन है । आभ्यन्तर सभा मे ८००० देव, मध्य सभा मे १० हजार और बाह्य सभा मे १२ हजार देव है। देविये तीनो हो सभा की १००-१०० है प्रत्येक इन्द्र की सभा इसी प्रकार जानना।
SR No.010342
Book TitleJainagam Stoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Maharaj
PublisherJain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar
Publication Year2000
Total Pages603
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy