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________________ पच्चीस क्रिया निम्न पच्चीस क्रियाये है:-- १ काईया, २ आहिगरणिया, ३ पाउसिया, ४ पारितावणिया, ५ पारणाईवाईया ६ अपच्चक्खाणिया, ७ आरंभिया ८ पारिग्गहिया, & मायावत्तिया, १० मिच्छादसणवत्तिया, ११ दिट्टिया, १२ पुट्ठिया, १३ पाडुच्चिया १४ सामंतोवरिगवाईया, १५ साहत्थिया, १६ नेसत्थिया १७ आणवणिया, १८ वेदारणिया, १६ अरणाभोगवत्तिया, २० अणव कखवत्तिया, २१ पेज्जवत्तिया, २२ : दोषवत्तिया, २३ प्पउग, २४ सामुदाणिया, २५ इरियावहिया | १ काईया क्रिया के दो भेद ● १ अणुबरय काईया २ दुप्पउत्त काईया १ अणुवरयकाईया : जब तक यह शरीर पाप से निवर्ते नही, वहां तक उसकी क्रिया लगे । २ दुप्पउत्त काईया : दुष्ट प्रयोग में शरीर प्रवर्ते तो उसकी क्रिया लगे । २ आहिगरणिया क्रिया के दो भेद : १ संजोजनाहिगरणिया २ निव्वत्तणाहिगरणिया १ खड्ग मुशल शस्त्रादिक प्रवर्तावे तो [सजोजना हिगरणिया क्रिया लगे । ३४
SR No.010342
Book TitleJainagam Stoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Maharaj
PublisherJain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar
Publication Year2000
Total Pages603
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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