SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 500
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४८२ जैनागम स्तोक संग्रह २० परिणाम द्वार प्रथम नियंठा में तीन परिणाम–१ हीयमान, २ वर्धमान, ३ अवस्थित ( १ घटता, २ वढ़ता, ३ समान )। हीय. वर्ध० को स्थिति ज. समय की १ उ० अ० मु० अवस्थित की ज०१ १ समय उ० ७ समय की, निर्ग्रन्थ मे वर्धमान परिणाम अवस्थित में २ परिणाम । स्थिति ज०१ समय, उ० अ० मु० । स्नातक मे २ वर्ध. अव.) वर्ध. की स्थिति ज०१ समय, उ० अ० मु० अव० की स्थिति जा अं० मु० उ० देश उरणी पूर्व क्रोड की। २१ बन्ध द्वार : पुलाक ७ कर्म ( आयुष्य सिवाय ) बांधे, वकुश व पडिसे० ७-८ कर्म बाधे, कषाय कुशील ६-७ तथा ८ कर्म ( आयु मोह सिवाय ) बांधे, निन्थ १ साता वेदनीय बांधे और स्नातक साता वेदनीय बांधे अथवा अबन्ध ( नही वाधे ) ) २२ वेदे द्वार : ४ नियंठा ८ कर्म वेदे, निग्रंथ ७ कर्म ( मोह सिवाय ) वेदे, स्नातक ४ कर्म ( अघाती ) वेदे। २३ उदीरणा द्वार : पुलाक ६ कर्म ( आयु-मोह सिवाय ) को उदी० करे, वकुश पडिसेवण ६-७ तथा ८ कर्म उदेरे, कषाय कुशील ५-६-७-८ कर्म उदेरे (५ होवे तो आयु, मोह वेदनीय छोड़ कर ), निर्ग्रन्थ २ तथा ५ कर्म उदेरे (नाम-गोत्र) और स्नातक अनुदीरिक । ____२४ उपसंपझणं द्वार : पुलाक-पुलाक को छोड़कर कषाय कुशील मे अथवा असंयम जावे, वकुश वकुश को छोड कर पडि० में, कषाय कुशील में असंयम तथा संयमासंयम मे जावे । इसी प्रकार चार स्थान पर पडि० नियठा जावे, कषाय कुशील ६ स्थान पर (पु०, व०, पडि०, असंयम, सयमा. तथा निर्ग्रन्थ में) जावे । निर्ग्रन्थ निर्ग्रन्थपने को छोड़ कर कषाय कुशील स्नातक तथा असंयम में जावे और स्नातक मोक्ष मे जावे। २५ सज्ञा द्वार : पुलाक, निर्ग्रन्थ और स्नातक नोसंज्ञा बहुता। वकुश. पडि० और कषाय कुशील सजा बहुता और नोसंजा बहुता।
SR No.010342
Book TitleJainagam Stoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Maharaj
PublisherJain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar
Publication Year2000
Total Pages603
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy