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________________ उपयोग अधिकार ( श्री भगवती सूत्र शतक, १३ उद्देशा १-२ ) उपयोग १२--५ ज्ञान, ३ अज्ञान और ४ दर्शन । १२ उपयोग मे से जीव किस गति में कितने साथ ले जाते है और लाते है इसका वर्णन :--- (१) १-२-३ नरक मे जाते समय ८ उपयोग (३ ज्ञान, ३ अज्ञान, २ दर्शन-अचक्षु और अवधि) लेकर आवे और ७ उपयोग लेकर (ऊपर में से विभंग छोड कर) निकले । ४-५ ६ नरक मे ८ उपयोग (ऊपरवत्) लेकर आवे और ५ उपयोग १२ ज्ञान, २अ०, १ अच० दर्शन) लेकर निकले, ७ वी नरक में ५ उपयोग (३ ज्ञान, २ दर्शन) लेकर आवे और ३ उपयोग (२ अज्ञान, अच० दर्शन) लेकर निकले। (२) भवनपति, व्यन्तर, ज्योतिषी देव मे ८ उपयोग (३ जान, ३ अ०,२ दर्शन) लेकर आवे और ५ उपयोग (२ ज्ञान, ३ अ, १ अच० दर्शन) लेकर निकले, १२ देवलोक वेयक मे ८ उपयोग लेकर आवे और ७ उपयोग (विभग ज्ञान छोड कर) लेकर निकले, अनुत्तर विमान में ५ उपयोग ( ३ जान, २ दर्शन) लेकर आवे और यही ५ उपयोग लेकर निकले। (३) ५ स्थावर मे ३ उपयोग (२ अज्ञान, १ दर्शन) लेकर आवे और ३ उपयोग लेकर निकले, विकलेन्द्रिय मे ५ उपयोग (२ ज्ञान, २ अज्ञान, १ दर्शन) लेकर आवे और ३ उपयोग (२ अज्ञान, १ दर्शन) लेकर निकले, तिर्यच पचेन्द्रिय मे ५ उपयोग लेकर आवे और ८ उपयोग लेकर निकले, मनुष्य मे ७ उपयोग (३ ज्ञान, २ अज्ञान २ दर्शन) लेकर आवे और ८ उपयोग लेकर निकले। सिद्ध मे केवल ज्ञान, केवल दर्शन लेकर आवे और अनन्त काल तक आनन्दघन रूप से शाश्वत विराजमान होवे। ४७५
SR No.010342
Book TitleJainagam Stoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Maharaj
PublisherJain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar
Publication Year2000
Total Pages603
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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