SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 492
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ उपयोग २ प्रकार का : १ साकार उपयोग, २ निराकार उपयोग ८ साकार उपयोग के भेद :- ५ ज्ञान (मति, श्रुत, अवधि, मनः पर्यय और केवल ज्ञान) और ३ अज्ञान (मति, श्रुत. अज्ञान विभंग ज्ञान ) । उपयोग पद ( श्री पन्नवणा सूत्र २६ वां पद ) अनाकार उपयोग ४ प्रकार का :- चक्षु, अचक्षु, अवधि दर्शन और केवल दर्शन | दण्डक १ १३ ५ १ १ १ १ २४ दण्डक में कितने २ उपयोग पाये जाते है नाम उपयोग समुच्चय जीवो में २ नारकी में २ देवता में स्थावर में बेन्द्रिय में तेइन्द्रिय में चौरिन्द्रिय में तिर्यच पंचेन्द्रिय मे मनुष्य में ४७४ २ २ ~~~ : साकार ८ દ x ར w 15 ८ अनाकार ४ ३ ३ १ १ १ mr 20
SR No.010342
Book TitleJainagam Stoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Maharaj
PublisherJain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar
Publication Year2000
Total Pages603
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy