SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 484
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ वेदना पद ( श्री पन्नवणा सूत्र, ३५ वां पद ) जीव सात प्रकार से वेदना वेदे :-१ शीत, २ द्रव्य, ३ शरीर. ४ शाता, ५ अशाता ( दुख ), ६ अभूगमीया, ७ निन्दा द्वार । ( १ ) वेदना ३ प्रकार की-शीत, उष्ण और शीतोष्ण समुच्चय जीव ३ प्रकार की वेदना वेदे । १, २, ३ नारकी में उष्ण वेदना वेदे । ( कारण नेरिया शीत योनिया है ) । चौथी नारकी ( नरक ) में उष्ण वेदना के वेदक अनेक ( विशेष ), शीत वेदना वाला कम, ( दो वेदका ) । पांचवी नारको में उष्ण वेदना के वेदक कम, शीत वेदना के वेदक विशेष । छटठी नरक में शीत वेदना और सातवी नरक में महाशीत वेदना है। शेष २३ दण्डक में तीनों ही प्रकार की वेदना पावे। (२) वेदना चार प्रकार की-द्रव्य, क्षेत्र, काल और भाव से। समुच्चय जीव और २४ दण्डक मे चार प्रकार की वेदना वेदी जाती है - १ द्रव्य वेदना-इष्ट अनिष्ट पुद्गलों की वेदना, (२) क्षेत्र वेदना-नरकादि शुभाशुभ क्षेत्र की वेदना, ( ३ ) काल वेदनाशीत-उष्ण काल की वेदना, ( ४ ) भाव वेदना-मन्द तीन रस ( अनुभाग ) की। ( ३ ) वेदना तीन प्रकार की-शारीरिक, मानसिक और शारीरिक-मानसिक । समुच्चय जीव में ३ प्रकार की वेदना । संज्ञी के १६ दण्डक मे ३ प्रकार की । स्थावर, : विकलेन्द्रिय मे १ शारीरिक वेदना। ४६६
SR No.010342
Book TitleJainagam Stoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Maharaj
PublisherJain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar
Publication Year2000
Total Pages603
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy