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________________ ४२८ जैनागम स्तोक संग्रह जम्बू द्वीप चक्की के पाट के समान गोल है । इसकी परिधि ३१६२२७ योजन, ३ गाउ, १२८ धनुष्य, १३॥ आंगुल, १ जव, १ जू, १ लीख, ६ वालाग्र और १ व्यवहार परमाणु समान है । इसके चारो ओर एक कोट ( जगति ) है । १ पद्मवर वेदिका, १ वन खण्ड और ४ दरवाजो से सुशोभित है। १ खण्ड द्वार :-दक्षिण-उत्तर भरत जितने ( समान ) खण्ड करे तो जम्बू द्वीप के १०६ खण्ड हो सकते है। न० क्षेत्र के नाम खण्ड योजन कला १ भरत क्षेत्र ५२६-६ २ चूल हेमवन्त पर्वत १०५२-१२ ३ हेमवाय क्षेत्र २१०५-५ ४ महा हेमवन्त पर्वत ४२१०-१० ५ हरिवास क्षेत्र ८४२१-१ ६ निषध पर्वत १६८४२-२ ७ महाविदेह क्षेत्र ३३६८४-४ ८ नीलवत पर्वत १६८४२-२ ह रम्यक् वास क्षेत्र ८४२१-१ १० रूपी पर्वत ४२१०-१० ११ हिरण्यवास क्षेत्र २१०५-५ १२ शिखरी पवत १०५२-१२ १३ ऐरावत क्षेत्र ५२५-६ ___ on m mr १०००००-० १६ कला का १ योजन समझना । पूर्व पश्चिम का १ लाख योजन का माप नं० क्षेत्र का नाम १ मेरु पर्वत की चौडाई योजन
SR No.010342
Book TitleJainagam Stoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Maharaj
PublisherJain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar
Publication Year2000
Total Pages603
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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