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________________ २ कषाय आ० द्रव्य आत्मा मे कषाय आत्मा की भजना योग आत्मा की भजना उपयोग आत्मा उप० आ० की नियमा की नियमा ज्ञान आ० की भजना दर्शन आत्मा की भजना चारित्र आ० की भजना वीर्य आ० की भजना द्रव्य आ० द्रव्य आ० द्रव्य आ० की नियमा की नियमा की नियमा योग आत्मा कपाय आ० कषाय आ० की नियमा की भजना की भजना ર ४ योग आ० उप० आ० ज्ञान आ० की भजना दर्शन आ० की नियमा चारित्र आ० की भजना वीर्य आ० की नियमा उप० आ० की नियमा उप० आ० की भजना ज्ञान आ० की भजना दर्शन आ० ५ ज्ञान आ० द्रव्य आ० की नियमा कषाय आ० की भजना योग० आ० की भजना ६ दर्शन आ० द्रव्य आ० की नियमा कषाय आ० की भजना योग आ० की भजनों ७ चारित्र आ० द्रव्य आ० की नियमा उप० आ० की नियमा 1 ज्ञान आ० की भजना चारित्र आ० की भजना वीर्य आ० की भजना कषाय आ० की भजना योग आ० की भजना ज्ञान आ० उप० आ० की भजना की नियमा दर्शन आ० दर्शन आ० ज्ञान आο की नियमा की नियमा की भजना की नियमा चारित्र आ० चारित्र आ० चारित्र आ० दर्शन आ० की भजना की भजना को भजना की नियमा वीर्य आ० वीयं आ० चारित्र आ० वीर्य आ की नियमा की भजना की भजना की नियमा की भजना भजना अर्थात् होवे अथवा नहीं होवे । नियमा का अर्थ निश्चय होवे । उप० आ० की नियमा ज्ञान आ० की भजना दर्शन आ० ८ की नियमा वीर्य आ० वीर्य आ द्रव्य आ की नियमा कषाय आ० की भजना योग आ० की भजना उप० आ० की नियमा ४०२ जैनागम स्तोक संग्रह
SR No.010342
Book TitleJainagam Stoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Maharaj
PublisherJain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar
Publication Year2000
Total Pages603
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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