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________________ जीवधड़ा (जीव के ५६३ भद है) नारकी के भेद : १ घम्मा, २ बसा, ३ शीला, ४ अंजना, ५रिष्टा, ६ मघा और ७ माघवती । इन सातो नरकों में रहने वाले (नेरियों) जीवो के अपर्याप्ता व पर्याप्ता एवं १४ भेद । तिर्यञ्च के ४८ भद : १ पृथ्वीकाय, २ अपकाय, ३ तेजस्काय, ४ वायु काय ये चार सूक्ष्म और चार बादर (स्थूल) एवं ८ इन आठ के अपर्याप्ता और पर्याप्ता एवं १६। वनस्पति के छ: भेद : १ सूक्ष्म, २ प्रत्येक और ३ साधारण इन तीनो के अपर्याप्ता व पर्याप्ता ये ६ मिलकर २२ भेद, १ बेइन्द्रिय २ त्रीन्द्रिय, ३ चौरिन्द्रिय इन ३ का अपर्याप्ता और पर्याप्ता ये छ: मिलकर २८ । तिर्य च पंचेन्द्रिय के २० भद: १ जलचर, २ स्थलचर, ३ उरपर ४ भुजपर, ५ खेचर । ये गर्भज और पांच संमूछिम एव १० इन १० के अपर्याप्ता और पर्याप्ता। ये २० मिलकर तिर्यंच के कुल (१६+६+६+२०) ४८ भेद हुवे। २०
SR No.010342
Book TitleJainagam Stoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Maharaj
PublisherJain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar
Publication Year2000
Total Pages603
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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