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________________ < t 1 1 } f ! 1 F : 1 जीवो की मार्गणा. १५४ तेजो लेशी वचन योगी सम्यक् दृष्टि मे १५५ तिर्यक् लोक में प्रत्येक शरीर बादर पर्याप्त मे १५६ तिर्यक् लोक बादर पर्याप्त मे १५७ मनुष्य एकांत मिथ्यात्वी अपर्याप्त में १५८ नो गर्भज एकांत मिथ्या दृष्टि बादर में 3 १५६ तिर्यक् लोक प्रत्येक शरीरी पर्याप्त में १६० तिर्यक् लोक कृष्ण लेशी सम्यक् दृष्टि में १६१ तिर्यक् लोक पर्याप्त मे १६२ देवता सम्यग् दृष्टि मे १६३ स्त्री वेद अवधि दर्शन मे १६४ प्रत्येक शरीरी नो गर्भज एकात मिथ्या दृष्टि मे १६५ पचे० नपुंसक वेद मे १६६ अभाषक मरने वालो में १६७ कृष्ण लेशी घ्राणे० वचन योगी मे १६८ कृष्ण लेशी वचन योगी मे १६६ तिर्यक् लोक नो गर्भज कृष्ण लेशी त्रस मे १७० तेजो लेशी वचन योगी मे O ० I 1 1 1 १ १४ 1000 (8 m Je is w 1 २० २२ १८ २४ । ܕ X २६ .२० ३५ १६ 1 w x १०१ १०१ १०१ १५७ १०१ १०१ င် ဝ १०१ ३० १२ १०१ १३ १०१ १३१ १३१ ३२५ १०१ १०१ ४८ ३६ ar m ३६ ३६ ३६ ५२ ३६ १६२ १२८ ३६ ५१ १०१ ५१ 11 ५२ ૬૪
SR No.010342
Book TitleJainagam Stoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Maharaj
PublisherJain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar
Publication Year2000
Total Pages603
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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