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________________ जैनागम स्तोक संग्रह ० ० १२८ ० ० andra ० २५ ८५ द ० . ० . ० ० ३२४ १२८ देवियों में ० १२६ एकान्त असंज्ञी बादर में १३० लवरण समुद्र त्रस मिश्र योगी में १३१ मनुष्य नपुसक वेद में १३२ शाश्वत मिश्र योगी में ७ १३३ मन योगी सम्यग् दृष्टि असंख्यात भववालों में १३४ बादर औदारिक शाश्वत में . १३५ प्रत्येक शरीरी एकांत असंज्ञी में ० १३६ तीन लेश्या औदा शरीर में १३७ क्रियावादी अशाश्वत में १३८ मन योगी सम्यग् दृष्टि में १३६ औदा० शरीर नो गर्भज में १४० कृष्ण लेशी अमर में १४१ अवधि दर्शन मरने वालों में ७ १४२ पचे० सम्यग् दृष्टि मरने वालों में ६ १४३ एकांत नपु सक बादर में १४ १४४ नो गर्भज शाश्वत में १४५ अपर्याप्त सम्यग् दृष्टि में १४६ त्रस नो गर्भज एकांत मिश्र में १४७ लवण समुद्र के अभाषक में ० १४८ स्त्री वेद वैक्रिय शरीर में १४६ संज्ञी एकांत मिथ्यात्वी में १५० तिर्यक् लोक में वचन योगी में १५१ तिर्यक् लोक पंचेन्द्रिय नपु० में ० १५२ तिर्यक् लोक पंचे. शाश्वत में १५३ एकांत नपुंसक वेद में १४ ० OP . 1ms . २८ १०१ ० A ५ ० ० ० ० ० ० ०n Gan ३५ ४५. १०१ ११२ ० १५ १२८ । ११२ ३६ २० १३१ । । ० ३८ १०१ .
SR No.010342
Book TitleJainagam Stoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Maharaj
PublisherJain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar
Publication Year2000
Total Pages603
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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